पुरानी मोहब्बत
पुरानी होकर भी और खराब होती जा रही हे ।
मोहब्बत बेशर्म, बे हिसाब होती जा रही हे ।।
पुरानी होकर भी और खराब होती जा रही हे ।
मोहब्बत बेशर्म, बे हिसाब होती जा रही हे ।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
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