तेरी यादो के दो मौसम हे मेरे पास। एक शाम से पहले,एक शाम के बाद ।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
कोई टिप्पणी नहीं