मुट्ठी भर
मुट्ठी भर ही चाहिए, तो सिकँदर हो जाओ।
और अगर पूरी क़ायनात चाहिए, तो कबीर होना होगा.।।
मुट्ठी भर ही चाहिए, तो सिकँदर हो जाओ।
और अगर पूरी क़ायनात चाहिए, तो कबीर होना होगा.।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
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