रिश्ते
इक उम्र गुज़ार दी हमने,रिश्तों का मतलब समझने में।
लोग मसरूफ हैं, मतलब के रिश्ते बनाने में ।।
इक उम्र गुज़ार दी हमने,रिश्तों का मतलब समझने में।
लोग मसरूफ हैं, मतलब के रिश्ते बनाने में ।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
कोई टिप्पणी नहीं