किस्मत
हाथ की लकीरें,भी कितनी शातिर है ।
कमबख्त मुट्ठी में है ,लेकिन काबू में नहीं ।।
हाथ की लकीरें,भी कितनी शातिर है ।
कमबख्त मुट्ठी में है ,लेकिन काबू में नहीं ।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
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