उम्मीद

शायद उम्मीदें ही होती हैं,ग़म की वजह.।

वरना ख़्वाहिशें रखना,कोई गुनाह तो नही।।

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याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

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