मोहब्बत

मुहब्बत की रूहानियत ताउम्र रह़ती है...........
तुम्हें पढ़ना,,,तुम्हें सोचना ,,

फिर तुम्हें ही लिखना़....
  हक है मेरा..

1 टिप्पणी:

याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

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