मह्फूज

कुछ चीज़े 'कमजोर' की हिफाज़त में भी 'महफूज़' रहती हैं।
जैसे  'मिटटी की गुल्लक' में  'लोहे  के सिक्के ।।

     

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याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

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