मुस्कान

लोग मेरी मुस्कान का राज पुछते हैं क्योंकि।
मैंने कभी दर्द की नुमाइश नहीं की।।

जिंदगी से जो मिला कबूल किया।
किसी चीज की फरमाइश नहीं की।।

मुश्किल है समझ पाना मुझे क्योंकि।
  जीने के अलग है अंदाज मेरे।।

जब जहां जो मिला अपना लिया।
ना मिला उसकी ख्वाहिश नहीं की।।

            
  

कोई टिप्पणी नहीं

याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

Blogger द्वारा संचालित.