मय   की   तौबा   को   तो  मुद्दत  हुई  लेकिन,
बे-तलब अब भी जो मिल जाए तो इंकार नहीं।।                        

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याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

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