याद
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
एक नफरत है जिसको पल भर में महसूस कर लिया जाता है और एक प्रेम है जिसका यकीन दिलाने के लिए सारी जिंदगी भी कम पड़ जाती है।।
मय की तौबा को तो मुद्दत हुई लेकिन, बे-तलब अब भी जो मिल जाए तो इंकार नहीं।।
खुबसूरत सा एक पल, क़िस्सा बन जाता है, जाने कब कौन ज़िन्दगी का हिस्सा बन जाता है, कुछ लोग ज़िन्दगी में ऐसे मिलते हैं जिनसे कभी ना टूटने ...
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।