रिश्ते
गर उलझ जाए जो कभी हमसे तो तुम सुलझा लेना।
तुम्हारे हाथ में भी तो रिश्ते का एक सिरा है ना।।
गर उलझ जाए जो कभी हमसे तो तुम सुलझा लेना।
तुम्हारे हाथ में भी तो रिश्ते का एक सिरा है ना।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
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