ख्वाईश
उसे कामयाबी में सुकून नजर आया तो वो दौड़ता गया ।
मुझेें सुकून में कामयाबी दिखी तो मे ठहर गया।।
ख़्वाईशो के बोझ में बशर तू क्या क्या कर रहा है।
इतना तो जीना भी नहीं जितना तू मर रहा है।।
उसे कामयाबी में सुकून नजर आया तो वो दौड़ता गया ।
मुझेें सुकून में कामयाबी दिखी तो मे ठहर गया।।
ख़्वाईशो के बोझ में बशर तू क्या क्या कर रहा है।
इतना तो जीना भी नहीं जितना तू मर रहा है।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
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