उम्मिद
कभी उम्मीदें उधड़ जायें तो,बेझिझक चले आइयेगा.।
हम भी हौसलों के दर्जी हैं,मुफ़्त में रफ़ू करते हैं.।।
कभी उम्मीदें उधड़ जायें तो,बेझिझक चले आइयेगा.।
हम भी हौसलों के दर्जी हैं,मुफ़्त में रफ़ू करते हैं.।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
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