सुख दुख
सुख-दुख की ना जाने कितनी फाइलें रखी है इसमें।
कौन कहता है कि सीने में अल्मारियाँ नहीं होतीं।।
सुख-दुख की ना जाने कितनी फाइलें रखी है इसमें।
कौन कहता है कि सीने में अल्मारियाँ नहीं होतीं।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
कोई टिप्पणी नहीं