दोस्त
मन को जो पढ़ ले उसी को दोस्त मानना साहिब।
वरना चेहरा तोरोज दुशमन भी देखते हैं.।।
मन को जो पढ़ ले उसी को दोस्त मानना साहिब।
वरना चेहरा तोरोज दुशमन भी देखते हैं.।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
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