दोस्त

मन को जो पढ़ ले उसी को दोस्त मानना साहिब।
वरना चेहरा तोरोज दुशमन भी देखते हैं.।।

कोई टिप्पणी नहीं

याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

Blogger द्वारा संचालित.