कोई फिदा सा क्यू हे।
एक ही चेहरे की अहमियत हर एक नजर में अलग सी क्यूँ है ।
उसी चेहरे पर कोई खफा तो कोई फिदा सा क्यूँ है ।।
एक ही चेहरे की अहमियत हर एक नजर में अलग सी क्यूँ है ।
उसी चेहरे पर कोई खफा तो कोई फिदा सा क्यूँ है ।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
कोई टिप्पणी नहीं