बेरुखी
तेरी बेरुखी को भी रुतबा दिया हमने ,
तेरे प्यार का हर क़र्ज़ अदा किया हमने ,
मत सोच के हम भूल गए है तुझे ,
आज भी खुदा से पहले याद किया है तुझे।।
तेरी बेरुखी को भी रुतबा दिया हमने ,
तेरे प्यार का हर क़र्ज़ अदा किया हमने ,
मत सोच के हम भूल गए है तुझे ,
आज भी खुदा से पहले याद किया है तुझे।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
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