खुशिया

क्या लूटेगा जमाना खुशियों को मेरी।

मैं तो खुद अपनी खुशियाँ दूसरों पर लुटाकर जीता हूँ।।

कोई टिप्पणी नहीं

याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

Blogger द्वारा संचालित.