खुशिया
क्या लूटेगा जमाना खुशियों को मेरी।
मैं तो खुद अपनी खुशियाँ दूसरों पर लुटाकर जीता हूँ।।
क्या लूटेगा जमाना खुशियों को मेरी।
मैं तो खुद अपनी खुशियाँ दूसरों पर लुटाकर जीता हूँ।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
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