दुनिया

घर परिवार के लिए जो जिंदगी गुजार देते हैं फिक्र में ।

मंजिल मिलने के बाद उनका नाम भी नही आता ज़िक्र में ।।

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याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

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