चमचे
चमचों की फितरत को तु समझा ही कहाँ है बर्तन ।
ये चमचे तो बने ही हैं तुझे खाली करने के लिए।।
चमचों की फितरत को तु समझा ही कहाँ है बर्तन ।
ये चमचे तो बने ही हैं तुझे खाली करने के लिए।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
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