उपरवाला
बनाने वाले तेरी कारीगरी भी अब पहले सी न रही।.
तू हर शख्स को इन्सां बनाता क्यों नहीं ।।
बनाने वाले तेरी कारीगरी भी अब पहले सी न रही।.
तू हर शख्स को इन्सां बनाता क्यों नहीं ।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
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