इश्क़

गिरते  रहे  सजदो  मे हम,
अपनी ही हसरतो   की खातिर।

इश्क़ ए  खुदा  मे  गिरे  होते,
तो कोई  हसरत बाकी  ना रह्ती ।।

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याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

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