जिन्दगी
कभी संभले तो कभी बिखरते आये हम ।
जिंदगी के हर मोड़ पर खुद में सिमटते आये हम ।
यूँ तो जमाना कभी खरीद नहीं सकता हमें.।
मगर प्यार के दो लफ्जो में सदा बिकते आये हम.।।
कभी संभले तो कभी बिखरते आये हम ।
जिंदगी के हर मोड़ पर खुद में सिमटते आये हम ।
यूँ तो जमाना कभी खरीद नहीं सकता हमें.।
मगर प्यार के दो लफ्जो में सदा बिकते आये हम.।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
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