इश्क़
मेरा इश्क़ ...ताउम्र अजनबी ही रहे तो अच्छा है।
अहमियत खो देती हैं मंज़िलें,मुलाकात के बाद ।।
मेरा इश्क़ ...ताउम्र अजनबी ही रहे तो अच्छा है।
अहमियत खो देती हैं मंज़िलें,मुलाकात के बाद ।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
कोई टिप्पणी नहीं