दोस्त

"साथ" दो हमारा "जीना" हम सिखायेँगे
मंजिल" तुम पाओ "रास्ता" हम बनायेँगे
  
खुश" तुम रहो "खुशिया" हम दिलायेँगे,
तुम बस "दोस्त" बने रहो दोस्ती हम निभायेंगे।।

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याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

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