खोने की दहशत ,और पाने की चाहत न होती,। तो न खुदा होता ,और न ही इबादत होती.।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
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