#हकिकत
मुद्दत हो गयी, कोइ शख्स तो अब ऐसा मिले, ।
बाहर से जो दिखता हो, अन्दर भी वैसा ही मिले ।।
मुद्दत हो गयी, कोइ शख्स तो अब ऐसा मिले, ।
बाहर से जो दिखता हो, अन्दर भी वैसा ही मिले ।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
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