मसला

मसला ये नहीं है के दर्द कितना है, "ग़ालिब "।।
मुद्दा ये है कि परवाह किस किस को है.।

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याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

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