किनारा

जिसका एक किनारा मैं हूँ...और एक तुम हो.।
बस वही एक दरिया अब मुकम्मल नहीं होने वाला.।।

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याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

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