शायर

दर्द आँखों से निकला,
तो सब ने कहा कायर है ये।
दर्द अल्फ़ाज़ में क्या ढला,
सबने कहा शायर है ये ।।

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याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

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