मुस्कुराहट
नकली मुस्कराहट है और उधार की हँसी है.।।
असलियत और फरेब के बीच ज़िन्दगी फँसी है।।
नकली मुस्कराहट है और उधार की हँसी है.।।
असलियत और फरेब के बीच ज़िन्दगी फँसी है।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
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