दोस्ती

  दोस्ती में ही "ताकत" है साहेब..
  "समर्थ" को झुकाने की.।

   बाकी "सुदामा" में कहाँ ताकत थी.।
  "श्रीकृष्ण" से पैर धुलवाने की.।।

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याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

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