लफ्ज

लफ़्जों को बरतने का सलीका ज़रूरी है गुफ़्तगू में..।
गुलाब अगर कायदे से ना पेश हों तो काँटे चुभ जाते हैं.।।

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याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

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