कसौटी

  ज़िंदगी की कसौटी से.
  हर रिश्ता गुज़र गया,।।

  कुछ निकले खरे सोने से,
  कुछ का पानी उतर गया.।।

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याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

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