ख्वाईश

हो जाएं वक़्त पर ख़त्म... खुद-ब-खुद शायद ।

मैंने ख़्वाहिशों की.. उम्र तय कर दी है।।                               

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याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

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