क्या हू मे।
‘किस क़दर ख़ुद से अब जुदा हूँ मैं
ऐसा लगता है बस हवा हूँ मैं
मैं कोई और हूँ या मैं ही हूँ
सोच में पड़ गया हूँ क्या हूँ मैं‘।।
‘किस क़दर ख़ुद से अब जुदा हूँ मैं
ऐसा लगता है बस हवा हूँ मैं
मैं कोई और हूँ या मैं ही हूँ
सोच में पड़ गया हूँ क्या हूँ मैं‘।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
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