राह अब अन्धे दिखाते हे हमे

हद में  रहना  वो सिखाते है हमें ।
आँख  से  अपनी  डराते  है हमें ।
कैसे यह दिन जिंदगी में आ गए ,
राह  अब  अंधे  दिखाते  है  हमें ।

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याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

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