ख्वाब

एक पल में नहीं होते हैं साहब ख़्वाब मुकम्मल।

कई रातें जागती हैं खुली आँखों के साथ।

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याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

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