प्रेम

प्रेम सकल हो, भाव अटल हो.
मन को मन की आशा हो.।

बिन बोले जो व्यथा जान ले
वो अपनों की परिभाषा हो..।।

   

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याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

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