याद
उसकी बेपनह यादो ने दिया मुझे फ़न शायरी का ।
वो शक्स जाते जाते भी मुझे हुनरमन्द बना गया ।।
उसकी बेपनह यादो ने दिया मुझे फ़न शायरी का ।
वो शक्स जाते जाते भी मुझे हुनरमन्द बना गया ।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
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