जज्बात


यहां पत्थर जैसे लोगों को,क्या जज़्बात दिखाओगे।
जख्मों को बेपर्दा कर बस,अपना दर्द बढाओगे।।
         

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याद

वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।

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