कातिल
जान जब प्यारी थी,तब दुश्मन हज़ारों थे।
अब मरने का शौक है तो क़ातिल नहीं मिलते।।
जान जब प्यारी थी,तब दुश्मन हज़ारों थे।
अब मरने का शौक है तो क़ातिल नहीं मिलते।।
वो कह कर चले गये की "कल" से भूल जाना हमे..। हमने भी सदियों से "आज" को रोके रखा है..।।
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